अहिपूतना :=>


परिचय : =>

         यह रोग बच्चों में गंदगी के कारण उत्पन होता है जिसे अहिपूतना कहते हैं। इस प्रकार के रोग में बच्चों को स्वच्छ-साफ रखना अति आवश्यक होता है। इस रोग में बच्चों के तौलिया या नैपकीन गीला या गन्दा होने पर बदलते रहें।

विभिन्न भाषाओं में रोग का नाम :=>

हिंदी चुना लगना ललाई पड़ना।
अंग्रेजी इरीदिमा, नैपकीनरेश, सोर बटकस।
अरबी गुदा खजुयाती।
बंगाली गुदाकच्छू।
मलयालम कुट्टीकल्कु, गुड़ाथिलु।
मराठी गुदकच्छू।
उड़िया जाकूसी।
तमिल आसन्नावायप्पदाइ।

लक्षण : =>
इस रोग में शिशुओं (बच्चे) की  गुदा के आस-पास गंदगी के कारण खुजली होने लगती है जो खुजली युक्त दरारें या पीवयुक्त फुंसियों में बदल जाती है जिसके कारण बच्चों में अहिपूतना रोग उत्पन्न होता है।

विभिन्न औषधियों से उपचार :=>

1. लताकरंज : लताकरंज, त्रिफला और पटोल फल को बराबर लेकर घी में मिलाकर रखें। यह मिश्रण 1 से 2 ग्राम प्रतिदिन 2 से 3 बार बच्चों को खिलाने से रोग ठीक होता है।

2. हरिद्रकन्द : हरिद्रकन्द, त्रिफला, बबूल छाल, उदूम्बर, खदिर। इनमें से किसी एक का गर्म काढ़ा बनाकर बच्चों के रोग से प्रभावित भाग को धोयें। इससे अहिपूतना रोग खत्म होता है।

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